कॅबिनेट मिशन प्लॅन - Cabinet mission plan

cabinet mission plan
कॅबिनेट मिशन योजना


कैबिनेट मिशन योजना - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय-

1946 में ब्रिटिश सरकार द्वारा आरंभ की गई कैबिनेट मिशन योजना, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ साबित हुई। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में सत्ता का स्थानांतरण एक भारतीय सरकार को करना था। इस ब्लॉग में, हम कैबिनेट मिशन योजना के महत्व, उसके प्रस्तावों, और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे। ‘cabinet mission plan’


🔹कैबिनेट मिशन योजना का परिचय -

Cabinet mission plan
लॉर्ड पेथिक-लॉरेंस, सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स, और ए.वी. अलेक्जेंडर


द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता की मांगों को मान्यता दी। मार्च 1946 में, ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भारत में सत्ता हस्तांतरण के लिए तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन की घोषणा की। इस मिशन का नेतृत्व लॉर्ड पेथिक-लॉरेंस, सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स, और ए.वी. अलेक्जेंडर ने किया।


कैबिनेट मिशन के कुछ मुख्य उद्देश्य 


1. सत्ता के स्थानांतरण का ढांचा प्रस्तुत करना: भारत को एक संघीय ढांचे में संगठित करना, जिसमें केंद्र सरकार को केवल रक्षा, विदेशी मामले, और संचार जैसे विषयों का नियंत्रण हो।

2. अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करना: विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना, जिन्हें हिंदू बहुसंख्यक द्वारा अपने अधिकारों के हनन का भय था।

3. संविधान सभा की स्थापना करना: एक संविधान सभा का गठन करना जो भारत के लिए एक नया संविधान तैयार करेगी।


 कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव 


1. संविधान सभा का गठन:

2. प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की एक सभा, जो भारत के लिए नया संविधान तैयार करेगी।

 संघीय संघ : प्रस्ताव ने प्रांतों और रियासतों के एक ढीले संघ की वकालत की, जिसमें केंद्र सरकार केवल विदेशी मामलों, रक्षा, और संचार पर नियंत्रण रखेगी। cabinet mission plan 

प्रांतीय स्वायत्तता : प्रस्ताव में प्रांतों को व्यापक स्वायत्तता देने की बात कही गई थी, ताकि वे अपने आंतरिक मामलों को स्वयं संभाल सकें। साथ ही, प्रांत अन्य प्रांतों के साथ मिलकर साझा मामलों का प्रबंधन करने के लिए समूह बना सकते थे।


कैबिनेट मिशन की प्रतिक्रिया और परिणाम


कैबिनेट मिशन योजना का स्वागत विविध प्रतिक्रियाओं के साथ किया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे, ने योजना को स्वीकार किया लेकिन प्रांतों के समूहीकरण पर आपत्ति जताई। 

मुस्लिम लीग, जिसका नेतृत्व मोहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे, ने शुरुआत में योजना को अस्वीकार कर दिया था, मांग करते हुए कि मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र की स्थापना की जाए, लेकिन बाद में वे संविधान सभा में शामिल होने के लिए सहमत हुए। हालांकि, योजना की व्याख्या संबंधी विवादों और अस्पष्टताओं ने राजनीतिक गतिरोध और साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दिया।

इसके बावजूद, कैबिनेट मिशन योजना ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा प्रदान की। इसने भारत की राजनीतिक जटिलताओं और स्वतंत्रता तथा विभाजन को हासिल करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को उजागर किया।


निष्कर्ष


कैबिनेट मिशन योजना, 1946 भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था। यह ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंत और स्वतंत्र भारत के जन्म की ओर एक कदम था। हालांकि यह भारत और पाकिस्तान के विभाजन को रोक नहीं पाई, मिशन के प्रयास स्वायत्तता और स्व-शासन की ओर भारत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण थे। “cabinet mission plan”

कैबिनेट मिशन की विरासत आजादी प्राप्त करने की चुनौतियों और जटिलताओं की गवाही देती है, और हमें यह याद दिलाती है कि महत्वपूर्ण परिवर्तन के समय में एकता, समझ, और समझौते की कितनी अहमियत होती है।

Post a Comment

0 Comments